आर्थिक संकट से जूझते बांग्लादेश ने थामा चीन का हाथ

मोहम्मद यूनुस ने 28 मार्च 2025 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बीजिंग में मुलाकात की। यह मुलाकात 26 से 29 मार्च तक चलने वाली उनकी चार दिवसीय चीन यात्रा का हिस्सा थी। इस यात्रा का उद्देश्य बांग्लादेश और चीन के बीच संबंधों को मजबूत करना था, और इसे दोनों देशों के बीच 50 साल के कूटनीतिक संबंधों के उपलक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बांग्लादेश ने चीन के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने के कई कारण हैं। पहला, आर्थिक संकट से जूझ रहे बांग्लादेश को चीन से निवेश और आर्थिक सहायता की उम्मीद है। यूनुस ने इस यात्रा के दौरान चीनी कंपनियों को बांग्लादेश में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया, खासकर सौर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और हाई-टेक उद्योगों में। उनका लक्ष्य बांग्लादेश को एक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है, जिससे रोजगार सृजन और निर्यात में वृद्धि हो सके। दूसरा, चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और 2023 में दोनों देशों के बीच 22.9 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ था। इस यात्रा में ड्यूटी-फ्री और कोटा-फ्री बाजार पहुंच जैसे समझौतों पर भी चर्चा हुई, जो 2028 तक जारी रहेगी।
अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों में तनाव आया है। हसीना के भारत में शरण लेने और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों ने इस तनाव को बढ़ाया। यूनुस ने भारत का दौरा करने की इच्छा जताई थी, लेकिन सकारात्मक जवाब न मिलने पर उन्होंने चीन को प्राथमिकता दी। यह कदम भारत के लिए एक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि चीन दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
Author: SPP BHARAT NEWS






