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अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का फायदा भारत को: चीनी कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स पर दी 5% तक की छूट, लागत में संभावित गिरावट

अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का फायदा भारत को: चीनी कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स पर दी 5% तक की छूट, लागत में संभावित गिरावट

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर ने वैश्विक व्यापार संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हाल ही में, अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले 500 से अधिक उत्पादों पर टैरिफ 125% तक बढ़ा दिया, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और हाई-टेक उपकरण प्रमुख हैं। जवाबी कदम के तहत, चीन ने भी अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर औसतन 84% तक टैरिफ लगाया है।

इस टैरिफ युद्ध का सीधा असर चीनी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स पर पड़ा है। अमेरिकी बाजार में मांग घटने से इन कंपनियों के पास बड़ी मात्रा में अनबिके स्टॉक इकट्ठा हो गए हैं। इस अतिरिक्त इन्वेंट्री को खपाने और नए बाजारों में प्रवेश पाने के लिए कई चीनी कंपनियां भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को 3-5% तक की छूट पर कंपोनेंट्स ऑफर कर रही हैं।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए लगभग 75% कंपोनेंट्स चीन से आयात किए जाते हैं। ऐसे में यह छूट 2-3% तक की लागत बचत का अवसर प्रदान करती है।

कुछ भारतीय कंपनियां यह लागत बचत उपभोक्ताओं तक पास कर सकती हैं, जिससे टीवी, स्मार्टफोन, वॉशिंग मशीन और फ्रिज जैसे उत्पादों की कीमतों में मामूली गिरावट आ सकती है।

भारत सरकार की 22,919 करोड़ रुपये की PLI (Production-Linked Incentive) योजना पहले ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को गति दे रही है। अब, घटती इनपुट लागत इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकती है।

भारत सरकार ने सीमा से सटे देशों से निवेश को लेकर अब भी कड़े नियम लागू रखे हैं। चीन से आने वाले नए निवेशों को अब भी FDI अनुमति की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

अमेरिका-चीन तनाव और भारत-चीन सीमा विवादों की अनिश्चितता के बीच लंबे समय के लिए इन ट्रेड छूटों पर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को इस मौके का फायदा उठाते हुए वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया जैसे विकल्पों से भी कंपोनेंट सोर्सिंग बढ़ानी चाहिए, ताकि सप्लाई चेन में विविधता लाई जा सके।

अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर भारत के लिए चुनौती के साथ-साथ अवसर भी लेकर आया है। मौजूदा छूट और सरकार की PLI जैसी नीतियों के सहयोग से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग लागत में कमी और वैश्विक सप्लाई चेन में अधिक भागीदारी की ओर बढ़ सकता है। यह आने वाले वर्षों में भारत को एक प्रमुख ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

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Author: SPP BHARAT NEWS

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