
नसबंदी 5 बार, बच्चे 25 बार: आगरा में जननी योजना का बड़ा घोटाला, एक महिला के नाम पर 45,000 रुपये की ठगी
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के फतेहाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी प्रोत्साहन योजना के तहत एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग के ऑडिट में पता चला कि एक ही महिला, कृष्णा कुमारी, के नाम पर 30 महीनों में 25 डिलीवरी और 5 बार नसबंदी दर्ज की गई है, और इसके बदले लगभग ₹45,000 की सरकारी प्रोत्साहन राशि उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की गई।
घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
यह मामला तब सामने आया जब वित्तीय वर्ष 2021–22 और 2022–23 के लिए रूटीन ऑडिट किया गया। कृष्णा कुमारी नाम की महिला के रिकॉर्ड ने अधिकारियों को चौंका दिया—क्योंकि यह मेडिकल रूप से असंभव था कि कोई महिला 30 महीनों में 25 बच्चों को जन्म दे और 5 बार नसबंदी कराए।
महिला की आपबीती:
कृष्णा कुमारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके सिर्फ दो बच्चे हैं— एक 2014 में और दूसरा 2017 में। उन्होंने 2017 में नसबंदी करा ली थी और तब से कोई गर्भधारण नहीं हुआ।
– उन्होंने आरोप लगाया कि उनके रिश्तेदार अशोक (बुआ का बेटा) ने उन्हें सरकारी योजनाओं के नाम पर कागजों पर अंगूठा लगवाया।
– अशोक ने उनका आधार कार्ड लेकर बैंक खाता खुलवाया, लेकिन खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर उसका अपना था।
– वह समय-समय पर 500 रुपये और राशन देकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराता रहा।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
– फर्जी मेडिकल रिकॉर्ड तैयार कर बार-बार उसी महिला के नाम पर लाभ लिया गया।
– ASHA कार्यकर्ता, अस्पताल कर्मी, और बिचौलियों की मिलीभगत सामने आ रही है।
– जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के लिए ₹1,400 और नसबंदी के लिए ₹2,000 लाभार्थी के खाते में सीधे जाते हैं—इसका लाभ उठाकर योजना को ठगा गया।
जांच और कानूनी पहलू:
– आगरा के सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने जांच के आदेश दिए हैं।
– एक विशेष जांच समिति बनाई गई है, जो यह निर्धारित करेगी कि मामला तकनीकी गड़बड़ी का था या सुनियोजित भ्रष्टाचार का।
– शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, फतेहाबाद CHC ही नहीं, बल्कि अन्य संस्थानों में भी ₹38.95 लाख तक के संदिग्ध भुगतान का मामला सामने आया है।
संभावित IPC धाराएं जो इस मामले में लग सकती हैं:
– धारा 420 – धोखाधड़ी
– धारा 467, 468, 471 – फर्जी दस्तावेजों की तैयारी और उनका उपयोग
– धारा 120B – आपराधिक साजिश
– PC Act, 1988 – यदि सरकारी कर्मचारियों की भूमिका पाई जाती है
प्रभाव और सवाल:
– यह घोटाला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे गरीब और अनपढ़ महिलाओं का दस्तावेज़ी शोषण कर योजनाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है।
– यदि ये आंकड़े सत्य हैं, तो यह महिला स्वास्थ्य डेटा की भी गंभीर खामियां उजागर करता है, जो भविष्य की नीतियों को भी प्रभावित कर सकता है।
यह मामला सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर ब्यूरोक्रेसी और सिस्टम के गठजोड़ से चल रहे धोखाधड़ी तंत्र की झलक देता है। यदि दोषियों को कड़ी सज़ा न दी गई, तो यह न केवल योजनाओं की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाएगा, बल्कि वंचित महिलाओं के भरोसे को भी तोड़ेगा।

Author: SPP BHARAT NEWS
