
भावनात्मक श्रद्धांजलि:
“पहलगाम की वादियों में गूंजता शोक: श्रद्धांजलि उन मासूम जिंदगियों को”
बाईसरन की हरियाली, जो कभी प्रेम और शांति का प्रतीक थी, आज खामोश है। वहां की हवा, जो कभी पर्यटकों की खिलखिलाहटों से गूंजती थी, आज आहों और सिसकियों से बोझिल है। 26 मासूम जिंदगियाँ—जिनमें देश के कोने-कोने से आए लोग थे—अब नहीं हैं। वे आए थे सुकून ढूँढने, लेकिन लौटे ताबूतों में।
यह हमला किसी एक परिवार पर नहीं, पूरी मानवता पर हमला है। एक माँ का बेटा, एक पिता की बेटी, एक नवविवाहित जोड़ा—सब कुछ छिन गया एक क्षण में। आतंक की बंदूक ने न केवल शरीरों को छलनी किया, बल्कि अनगिनत सपनों, उम्मीदों और रिश्तों को भी चकनाचूर कर दिया।
उन परिवारों की पीड़ा की कोई भाषा नहीं हो सकती। यह केवल आँसू नहीं, एक राष्ट्र का क्रंदन है। और इस क्रंदन के बीच उठती है एक पुकार—हम भूलेंगे नहीं। हम माफ नहीं करेंगे।
यह श्रद्धांजलि केवल शब्दों की नहीं, बल्कि संकल्प की है। उन 26 चेहरों के नाम, जो अब तस्वीरों में कैद रह गए, हमें हर दिन याद दिलाते रहेंगे कि हमें आतंक के खिलाफ और भी संगठित होना है। उनका बलिदान व्यर्थ न जाए—यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Author: SPP BHARAT NEWS

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