
नाग पंचमी: प्रकृति पूजन, करुणा का संदेश और सांस्कृतिक संतुलन का उत्सव
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह केवल नागों की पूजा का अवसर नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच संतुलन, क्रोध पर नियंत्रण और हर जीव मात्र के प्रति करुणा का प्रतीक है।
यह पर्व एक पौराणिक घटना से जुड़ा है, जिसमें महाभारत काल के एक प्रसंग ने हमें यह सिखाया कि प्रतिशोध की अग्नि में निर्दोषों का बलिदान कभी न्याय नहीं होता।
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📜 पौराणिक कथा: जनमेजय का सर्प यज्ञ और ऋषि आस्तिक का करुणा-पूर्ण हस्तक्षेप
महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख मिलता है कि राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डंस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। उनके पुत्र राजा जनमेजय ने इस अपार पीड़ा से व्याकुल होकर संपूर्ण नाग जाति के विनाश का संकल्प लिया और एक महायज्ञ आरंभ किया – जिसे सर्पसत्र कहा गया।
इस यज्ञ में मंत्रों की शक्ति से नाग खिंचे चले आते और अग्नि में भस्म हो जाते। निर्दोष नागों की भीषण मृत्यु देख आस्तिक मुनि, जो स्वयं नागवंश से संबंध रखते थे, ने हस्तक्षेप किया। अपने ज्ञान और विवेक से उन्होंने जनमेजय को समझाया कि क्रोध से न्याय नहीं होता, बल्कि करुणा से समाधान निकलता है।
जनमेजय ने यज्ञ को रोक दिया, और इस दिन को नाग जाति की रक्षा और क्षमा भाव के प्रतीक के रूप में याद किया जाने लगा – यही दिन नाग पंचमी कहलाया।
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🌿 आध्यात्मिक और पारिस्थितिक (Ecological) महत्व
🕉️ नागों का दैवी स्वरूप
शेषनाग: भगवान विष्णु के शय्या रूप में और ब्रह्मांडीय संतुलन के आधार।
वासुकी नाग: भगवान शिव के गले का अलंकरण और समुद्र मंथन में रस्सी।
कालिया नाग: श्रीकृष्ण द्वारा शांतिपूर्वक पराजित कर यमुना को विषमुक्त किया।
मुचलिंद नाग: बुद्ध को वर्षा से बचाने वाले।
🌎 प्रकृति के रक्षक
नागों को जल स्रोतों, कुओं, तालाबों, और खेतों का रक्षक माना गया है।
वे वर्षा, भूमि की उर्वरता और कृषि समृद्धि से जुड़े होते हैं।
नाग गुप्तधन, ऊर्जा, और चेतना के प्रतीक भी हैं।
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🐍 अष्टनाग: पूज्य नाग देवता
नाग पंचमी पर विशेष रूप से इन आठ नागों की पूजा की जाती है:
1. अनंत (शेष)
2. वासुकी
3. तक्षक
4. कर्कोटक
5. पद्म
6. महापद्म
7. शंख
8. कुलिक
इन नागों का उल्लेख विभिन्न पुराणों में मिलता है और वे सभी ब्रह्मांडीय कार्यों से जुड़े हुए हैं।
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🛕 नाग पंचमी की शास्त्रसम्मत पूजा विधि
आवश्यक सामग्री:
नाग देवता की प्रतिमा/चित्र
कच्चा दूध, नैवेद्य, पुष्प, दूर्वा घास
अक्षत, हल्दी-कुमकुम, दीपक, धूपबत्ती
गंगाजल या शुद्ध जल
चंदन, मौसमी फल
पूजा के मुख्य चरण:
1. स्नान और संकल्प: पूजा का उद्देश्य स्पष्ट करें।
2. नाग स्थापना: स्वच्छ स्थान पर नाग देवता की मूर्ति/चित्र रखें।
3. पंचोपचार पूजा: दूध-स्नान, तिलक, पुष्प अर्पण, दीप-धूप।
4. नैवेद्य अर्पण: केवल प्रतीकात्मक रूप से।
5. मंत्र जाप:
नाग गायत्री मंत्र:
ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात
नवनाग स्तुति (यदि संभव हो):
> अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्…
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
6. कथा श्रवण: आस्तिक मुनि और सर्प यज्ञ की कथा सुनें/सुनाएँ।
7. आरती और क्षमा याचना: मन, वाणी व कर्म से हुई त्रुटियों के लिए क्षमा माँगें।
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⚠️ नाग पंचमी पर विशेष सावधानियाँ:
❌ जीवित सांपों को दूध न पिलाएँ: यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक है।
❌ सांपों को पकड़ना या तंग करना वर्जित है।
✅ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें: नाग पंचमी का संदेश यही है कि प्रकृति के हर जीव की रक्षा की जाए।
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✨ नाग पंचमी: करुणा, संतुलन और अध्यात्म का संदेश
नाग पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्राकृतिक चेतना और सह-अस्तित्व का उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि प्रतिशोध नहीं, सहिष्णुता ही वास्तविक शक्ति है। प्रत्येक जीव के अस्तित्व में कोई न कोई उद्देश्य है, और उसे समझना ही सनातन संस्कृति की आत्मा है।
इस नाग पंचमी, आइए हम क्रोध पर नियंत्रण, जीवों के प्रति करुणा, और प्रकृति के साथ समरसता का संकल्प लें।

Author: SPP BHARAT NEWS

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