
शिक्षा की धारा और शिक्षक का दीप : ज्ञान, दृष्टि और समाज का निर्माण
अविद्यायाः तमो नाशं, विद्यायाः प्रकाशकम्।
“बोधं मे देहि हे नाथ, सत्यं सौख्यं च शाश्वतम्॥”
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शिक्षा किसी नदी की तरह है।
जब यह बहती है तो बंजर ज़मीन को हरियाली देती है, प्यासे कंठों को तृप्त करती है और समाज में नई चेतना जगाती है। लेकिन अगर इसकी धारा को केवल एक दिशा में मोड़ दिया जाए, तो यह कुछ लोगों को ही सींच पाएगी और बाकी ज़मीन प्यास से फट जाएगी। आज की शिक्षा भी कुछ ऐसी ही हो गई है—नौकरी और रोज़गार की फैक्ट्री बनकर रह गई है, जहाँ बच्चों के सपने कटऑफ और अंकतालिकाओं में कैद हो जाते हैं।
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🌱 शिक्षा का असली अर्थ
जब बच्चा पहली बार स्कूल जाता है तो उसकी आँखों में सवालों की चमक होती है।
आकाश नीला क्यों है?
तितली के पंखों पर रंग कैसे आते हैं?
तारे रात में क्यों टिमटिमाते हैं?
यही जिज्ञासा असली शिक्षा का बीज है। परन्तु रट्टा और परीक्षा की मशीनें इस बीज को अंकुरित होने से पहले ही कुचल देती हैं। जबकि शिक्षा का उद्देश्य सवालों को दबाना नहीं, उन्हें पंख देना था।
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🏛️ हमारी परंपरा की विरासत
प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।
तक्षशिला और नालंदा केवल ज्ञान के केंद्र नहीं थे, बल्कि विवेक, दृष्टि और उत्तरदायित्व का पोषण भी करते थे।
आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त को केवल राजनीति नहीं सिखाई, बल्कि न्याय और नीति का बोध भी कराया।
गुरुकुल और आश्रमों में शिक्षा का लक्ष्य जीविका नहीं, बल्कि जीवन की व्यापक समझ थी।
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⚠️ आज की चुनौतियाँ
आज शिक्षा पर बाज़ारवाद का दबाव है।
निजीकरण ने इसे महँगी बना दिया।
कोचिंग कल्चर ने बच्चों की रचनात्मकता को दबा दिया।
डिजिटल असमानता ने इसे अधिकार नहीं, विशेषाधिकार बना दिया।
और शिक्षक—इस धारा के असली नाविक—खुद असमान वेतन, प्रशासनिक बोझ और उपेक्षा से जूझते रहते हैं।
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🔥 शिक्षक : दीपक और नाविक
शिक्षक केवल किताबों के पन्ने पलटने वाला नहीं होता।
वह बच्चों की आँखों की चमक को जीवित रखने वाला दीपक है।
अच्छा शिक्षक वही है जो कहे: “सवाल करना ग़लत नहीं है।”
जो कठोर अनुशासन से नहीं, बल्कि विश्वास और करुणा से पढ़ाता है।
जो यह समझे कि शिक्षा केवल आज्ञाकारी नागरिक बनाने के लिए नहीं, बल्कि बदलाव के वाहक तैयार करने के लिए है।
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🌍 शिक्षा का सही लक्ष्य
जब शिक्षा सही दृष्टि से दी जाती है तो वह केवल नौकरी नहीं देती, बल्कि इंसान गढ़ती है।
ऐसे विद्यार्थी समाज की भलाई के लिए सोचते हैं, असमानता और अन्याय को चुनौती देते हैं और एक नई राह बनाते हैं।
इसलिए शिक्षा की धारा को सबके लिए खोलना होगा—
न कि कुछ लोगों के हित की नहर, बल्कि गंगा, कावेरी और नर्मदा जैसी सबके जीवन की धारा।
और शिक्षक वही संतुलनकारी नाविक बनें, जो इस धारा को सही दिशा दें।
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🎉 शिक्षक दिवस का सच्चा संदेश
शिक्षक दिवस हमें याद दिलाता है कि शिक्षक कोई पेशा नहीं, बल्कि समाज का धड़कता हुआ हृदय है।
सच्चा सम्मान यह नहीं कि साल में एक दिन औपचारिक भाषण हो, बल्कि यह है कि हम उन्हें गरिमा, सुरक्षा और स्वतंत्रता दें। तभी शिक्षक दीपक की तरह अंधकार में राह दिखा पाएंगे और शिक्षा की नदी सबको सींच पाएगी।
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🙏 प्रार्थना
हे परमपिता परमात्मा,
आप ही सत्य हैं, आप ही ज्ञान हैं, आप ही अनंत प्रकाश हैं।
मेरे भीतर की अज्ञानता का अंधकार दूर कीजिए।
मुझे वह दृष्टि दीजिए जो बाहरी रूप और आडंबरों से परे सत्य को पहचान सके।
मेरे विचारों से शुद्धता, कर्मों से करुणा और वाणी से मधुरता झलके।
ज्ञान मेरे लिए केवल संग्रह न बने, बल्कि आत्मा को शांति और समाज को सेवा देने का साधन बने।
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Author: SPP BHARAT NEWS
