22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला : दसवें दिन साहित्य और संस्कृति का संगम

* डा. एस.एन. गुप्ता सहित अनेक हस्तियां व 108 साहित्यकार सम्मानित
* रतन सिस्टर्स ईशा–मीशा के कथक से सजी शाम
पुस्तक प्रेमियों ने खरीदीं मनपसंद किताबें
लखनऊ : बलरामपुर गार्डन, अशोक मार्ग पर चल रहा 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला अब समापन की दहलीज़ पर है। ग्यारहवें दिन, हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर, कल रात यह मेला अपनी विदाई लेगा। साहित्य, कला और संस्कृति के इस अनोखे पर्व में आज भी पुस्तक-प्रेमियों की भीड़ उमड़ती रही। स्टॉलों पर लोग अपनी रुचि और जिज्ञासा के अनुसार किताबें चुनते और थैले भरकर ले जाते दिखे।
कहीं बाराबंकी के विनय दलित साहित्य की पंद्रह पुस्तकें चुनते दिखे, तो कहीं लखनऊ की मधूलिका ने शुभि प्रकाशन से जय शेट्टी की “सन्यासी की तरह सोचें” और रोजर की “फर्स्ट थिंग्स फर्स्ट” पसंद की। इंटर स्टूडेंट्स अवंतिका और प्रभात ने विज्ञान से जुड़े बाइनाकुलर जैसे उपकरण खरीदे। वहीं नन्हीं ऋचा, क्षिति और आरव अपनी रंग-बिरंगी कलरिंग बुक्स और कहानियों की किताबें लेकर उत्साह से झूम उठे।
# साहित्यकारों का सम्मान और विमोचन
मेला मंच पर आज निखिल प्रकाशन के तत्वावधान में पर्यावरण चेतना एवं सम्मान समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर 108 हिंदी साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इसी क्रम में बंगाल के वरिष्ठ शिक्षक सुकुमार जैन की बांग्ला पुस्तक “काकोली” (कविता-कहानी संग्रह) का विमोचन भी किया गया।
शाम को पुस्तक मेला समिति और द ट्रिब्यून के संयुक्त समारोह में समाजसेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की विभूतियों को अंगवस्त्र व स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इसमें कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. एम.एल.बी. भट्ट, जबलपुर विधि विश्वविद्यालय के प्रो. बलराज चौहान, ग्वालियर के प्रो. ए. सिंह, पी.एफ. आयुक्त एके गुप्ता, शिक्षाविद् रचना मेहरोत्रा के साथ अनेक विशेषज्ञ शामिल हुए।
सम्मान पाने वालों में डा. एस.एन. गुप्ता, डा. ममता गुप्ता, डा. अरवीन तुलसी, डा. फराह अरशद, डा. के.बी. जैन, डा. ए.एम. सिद्दीकी, डा. देवेश कोहली, डा. अमित कुमार निरंजन, जसवंत सिंह, नितिन भाटिया, सिटी एसेंस पत्रिका की ईशा सिंह, डा. रिंकी पाठक, रामशंकर वर्मा, अर्चना राय, रचना मित्रा, डा. तुषार चेतावनी, मधुलिका अग्रवाल, मधुमिता मुखर्जी, अंजना स्वामी और शिल्पी जैन जैसी हस्तियां प्रमुख रहीं।
शाम को वाणी प्रकाशन से निकली रतन श्रीवास्तव ‘रतन’ की पुस्तक “ख्वाबों का ताना-बाना” का विमोचन हुआ। कार्यक्रम का समापन भुशुण्डि साहित्य संस्थान की ओर से हुए साहित्यिक आयोजन के साथ हुआ।
# कथक से सजी शाम : रतन सिस्टर्स की झंकार
रात के सांस्कृतिक कार्यक्रम में जब रतन सिस्टर्स — इशा रतन और मीशा रतन — अपने डांस ग्रुप के साथ मंच पर उतरीं तो पूरा पंडाल घुँघरुओं की थिरकन और तालों की गूंज से भर उठा।
उन्होंने रुद्राष्टकम में शिव स्तुति प्रस्तुत कर वातावरण को भक्ति से सराबोर कर दिया। राम वंदना के साथ जब उन्होंने सूफी रंगत में “छाप तिलक सब छीन्हीं…” गाया-बुनाया तो दर्शक झूम उठे। उनकी शिष्याएँ अनुष्का सिंह और रिद्धिमा श्रीवास्तव भी पीछे नहीं रहीं—कभी गणेश वंदना में विनय के भाव दिखाए, तो कभी “काहे छेड़-छेड़ मोहे गरवा लगाए” पर नृत्य करते हुए भावनाओं की गहराई में उतर गईं।
बिजली-सी गति, भावों की गरिमा और अंग-संचालन की लचक ने दर्शकों को लंबे समय तक मंत्रमुग्ध रखा।
# 14 सितम्बर के मुख्य कार्यक्रम
* 11:00 पूर्वाह्न – काव्य समारोह (लक्ष्य सांस्कृतिक संस्थान)
* 2:00 अपराह्न – कार्यक्रम (साहित्यकार संसद एवं नमन प्रकाशन)
* 3:30 अपराह्न – नृत्य प्रस्तुति (स्नेहा रस्तोगी)
* 4:00 अपराह्न – चन्द्रशेखर वर्मा के ग़ज़ल संग्रह पर चर्चा
* 4:30 अपराह्न – के. विक्रम राव स्मृति कार्यक्रम
* 5:30 अपराह्न – स्मरणांजलि
* 7:15 अपराह्न – काव्य समारोह (अपूर्वा संस्था)
Author: SPP BHARAT NEWS






