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अमेठी में चार संतों का महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक — श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा की ऐतिहासिक घोषणा

अमेठी में चार संतों का महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक — श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा की ऐतिहासिक घोषणा

फतेहपुर, उत्तर प्रदेश।
श्री पंच दशनाम गुरुदत्त अखाड़ा रजि. न्यास (106) के संस्थापक आश्चर्य महामंडलेश्वर श्री अनिरुद्ध गिरी जी महाराज, श्री गुरुदत्त आश्रम, सिमौर (फतेहपुर) ने अवगत कराया है कि अखाड़े की परंपरा के अनुरूप चार गुरुमूर्तियों का महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक समारोह आगामी 16 अक्टूबर 2025 को जनपद अमेठी (उत्तर प्रदेश) में संपन्न होगा।

यह दिव्य और ऐतिहासिक आयोजन अखाड़ा परंपरा के वैदिक विधान तथा संन्यासी मर्यादा के अनुरूप संपादित किया जाएगा।

पट्टाभिषेक हेतु चयनित चार गुरुमूर्तियाँ

1. श्री विक्रम गिरी महाराज
2. श्री करुणानन्द गिरी महाराज
3. श्री सत्यागिरि महाराज
4. आचार्य पिंपल गुरु जी महाराज

इन चारों पूज्य संतों का महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक, अखाड़े की आध्यात्मिक विरासत को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।

महान संतों के संरक्षण व निर्देशन में आयोजन

यह आयोजन आचार्य महामंडलेश्वर श्री अनिरुद्ध गिरी जी महाराज के आदेशानुसार एवं संरक्षक श्री बालकृष्ण गिरी जी महाराज के पावन निर्देशन में संपन्न होगा।
इस आयोजन में देशभर के प्रमुख संत, महामंडलेश्वर और अखाड़ा प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे, जिनमें —

* महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष — श्रीमती राधा श्री जी, जिला जालौन
* राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष — श्रीमंत गिरी जी महाराज, गुजरात
* जगतगुरु श्री वेद मूर्ति जी महाराज, दिल्ली
* स्वामी श्री सूर्यनंद जी महाराज, प्रदेश अध्यक्ष (उत्तर प्रदेश)
* डॉ. भंवरलाल गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर, उज्जैन
* स्वामी राजेश्वरानंद पुरी उर्फ ज्योति वाले गुरुजी महाराज, महामंडलेश्वर, दिल्ली
* श्री मनसुख गिरी जी महाराज
* महामंडलेश्वर साध्वी संजना नाथ, पंजाब
* महामंडलेश्वर साध्वी राशि नाथ, हरियाणा
* महामंडलेश्वर कौशाल गिरी जिला (सीकर) राजस्थान
सहित अनेक विद्वान संतगण अपने पावन सान्निध्य से इस समारोह को अलंकृत करेंगे।

महामंडलेश्वर पद — सेवा, साधना और सनातन सत्ता का प्रतीक

महामंडलेश्वर का पद केवल किसी मठ की प्रधानता नहीं, बल्कि राष्ट्रधर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा का संकल्प है। इतिहास साक्षी है कि अनेक महामंडलेश्वरों ने मुगल और अंग्रेज़ी काल में धर्म, समाज और राष्ट्र की रक्षा हेतु स्वयं सेनाएँ संगठित कीं।

महामंडलेश्वर वेदांत, योग, नीति और धर्मशास्त्र के पारंगत ज्ञाता होते हैं। उनका वचन समाज में नैतिक दिशा और आचरण की प्रेरणा देता है। वे अपने अखाड़े की गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखते हुए आने वाली पीढ़ियों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक बनते हैं।

“महामंडलेश्वर का पद कोई लौकिक उपाधि नहीं, यह साधना और सेवा का सिंहासन है — जहाँ राजसत्ता अस्थायी होती है, वहीं महामंडलेश्वर की सत्ता सनातन होती है, क्योंकि वह आत्मसंयम, त्याग और धर्मनिष्ठा पर टिकी होती है।

अमेठी में होने वाला यह महामंडलेश्वर पट्टाभिषेक समारोह केवल अखाड़ा परंपरा की गौरवगाथा नहीं, बल्कि भारतीय आध्यात्मिकता के उस अखंड प्रवाह का उत्सव है, जो संयम, सेवा और सनातन धर्म के आदर्शों से ओतप्रोत है।

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Author: SPP BHARAT NEWS

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